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Showing posts from 2019

खट खट!!

खट खट!! कौन है? हम चांद! चांद कौन? पूर्णमासी का चांद... अच्छा! तो क्या लाए हो? हम चाँदनी लाए हैं... पता है पूर्णमासी की चाँदनी में अमृत होता है... भला? हाँ! आज की चाँदनी जहां जहां टपकेगी वहाँ अमृत गिरेगा। तुमको चाहिए ये अमृत? तुम्हारे लिए खास ऑफर... अच्छा वो क्या? चाँदनी के साथ चांद फ्री!! (c) shubhra August 18th, 2019

आज बारिश लगातार हो रही है

आज बारिश लगातार हो रही है मूसलाधार... तेज़, काफी तेज़... घिर आए बादल कुछ घने, कुछ काले, कुछ बेचैन, कुछ नाराज कुछ उदास लेकिन सब भरे हुए... रोने को आतुर... बस अब थम नहीं रहे मानो सारे जहां का दर्द भरा हुआ हो सीने में, थम ही नहीं रहे! गुबार है कि सैलाब की तरह निकल रहा है... कभी लगा कि हवा के थपथपाने से कुछ सुकून आया, शायद थम रहे हैं, रुलाई, सिसकियों में बदल रही है... बिखर रहे हैं ये बादल... पर नहीं ये आज ना तो थमेंगे, ना ही बिखरेंगे, ना ही संभलेंगे... आज तो सब कुछ ही बाहर उड़ेल देंगे इतना सब कुछ तो है जो समेटे हुए हैं दिल में सब का जहां थामे हुए मेरा, तुम्हारा, उसका, इसका सबका... एक अकेला अम्बर आखिर कब तक बीमार का, बेरोज़गार का अकेले-तन्हा का भीड़ में  फंसे हुये का नज़रबंद का और आज़ाद का भी नास्तिक का और  भक्त का देसी का और विदेशी का भी सब कोई अपना सब कुछ इस आसमान से ही तो बांटते हैं... भर गया  आज इसका कलेजा, घिर आए बादल... इतने लोग इस धरती पे और एक आसमान अकेला सब का संसार ढकता हुआ उसका जिसके माँ-बाप नहीं या जिसके बच्चे नहीं जिसका रिश्ता टूटा या 

क्या तुम मेरे बारे में सोचते हो?

ये सवाल मैं अक्सर करती हूँ अपने आप से... क्या तुम मेरे बारे में सोचते हो? जब चांद को देखते हो - क्या तुम मेरे बारे में सोचते हो? या जब मूसलाधार पानी बरसता है तब? मेट्रो पे जाते समय तो ज़रूर सोचते होगे? नहीं? झूठ! अच्छा प्रेस क्लब में तो कभी कभी राग भैरव गुनगुनाते हुए तो पक्का याद आती होगी... Netflix पे अनगिनत फ़िल्मों की लिस्ट देखते हुए क्या तुम मेरे बारे में सोचते हो? कौन सी देखे? जब कभी भी कोई पेंटिंग देखते हो तो क्या सोचते हो कि  आजकल मैं क्या बना रही हूँ? मेरा गुस्सा बाहर निकल रहा है या नहीं... क्या तुम सोचते हो पहाड़ की उस दोपहर/शाम के बारे में जो हमने साथ बिताई थी - अलबत्ता फोन पर... क्या तुम सोचते हो, भवाली के चांद के बारे में या फिर पहाड़ की डूबती शाम के बारे में? क्या तुम मेरे बारे में सोचते हो जब कभी किसी आर्टिस्ट का, खासकर Van Gogh का या Da Vinchi का ज़िक्र होता है? जब कभी सर्कार की, मोदी की या कश्मीर की बात हो तो क्या तुम सोचते हो मेरे बारे में? उस रात के बारे में, जब कितने सब्र से तुम मुझे समझा रहे थे और मैं सवाल कर रही थी, समझने के लिए... कश्मीर मुद्दे को? क

चाँद को देखो

घर से बाहर निकल कर उसने आसमान को देखा, और देखती रह गयी... आज चाँद अधबुध था... पहाड़ों के ऊपर, सुनहेरा सा, अभी अभी उगता हुआ... काफी देर तक वो चाँद को ताकती रही... फोन से फोटो खींची वॉटस्‍प्प खोला, नाम ढूंढा, मैसेज टाइप किया "चाँद को देखो..." फिर मिटा दिया, फोन जेब में रखा और फिर चाँद को देखने लगी... अपने चार रम का कोटा पूरा कर वो प्रेस क्लब से बाहर निकला आसमां पे नज़र गयी, चाँद को देखा तो देखता रह गया... फोन निकाला, चेक किया, कोई मैसेज नहीं था... वॉटस्‍प्प खोला, नाम ढूंढा, टाइप किया "आज तुमने चाँद को देखा?" फिर मिटा दिया, फोन जेब में रखा और फिर चाँद को देखने लगा... अपने 23इसवे माले के घर में वो अकेला बैठा था... बाल्कनी में आया, सिगरेट जलाई और सामने देखा... देखता रह गया... चाँद आज अपने पूरे निखार पे था... फोन उठाया, वॉटस्‍प्प खोला, नाम ढूंढा मैसेज स्क्रोल किया... "चाँद को देखो! हम रहे ना रहे, जब कभी भी चाँद को देखना, खासकर  पूरे चाँद को, तो मुझे याद कर लेना..." मैसेज टाइप किया... "मिसिंग यू"... फिर मिटा दिया, फोन जेब में रखा, स

Hope

Barren trees, shapely, beautiful, not a leaf on board shooting up to the sky twisted, curved branches reaching out standing out among the greens tall and naked to the core calling to the heavens for just one, one green shoot and a cycle of hope again... (c) shubhra 2nd April, 2014