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Showing posts from May, 2007

साथ साथ

आज सुबह जब खुद को तन्हा पाया तो दिल मे एक टीस उठी याद आ गयी कल की बीती हुई सुबह जब मैं तुम्हारी बाहों मे थी दिल ने पुकारा काश की ये सपना ना टूटे ये साथ ना छूटे मन ने समझाया क्या था पास हुमारे खाली दिल कुछ यादे तन्हा दिन और राते तुम आए अचानक और सब कुछ नया हुआ जीवन को एक नया मोड़ दिया इस दिल को फिर से मछलाया रात और दिन को रगीन बनाया सुबह और शाम को महकाया कुछ नही था पास हमारे आज दामन है भरा हुआ जो तुम दे ना सके उसकी ख़लिश तो है पर जो तुमने दिया उसके शुक्रगुज़ार हैं हम क्या हुआ जो हम एक साथ ना हुए हम साथ साथ तो हैं. शुभ्रा April 23, 2007