कलम बेताब है किताब के पन्ने इंतेज़ार में हैं मन विचारों की हलचल से हैरान है विचारों का उफान सब तरफ फैलने को हैं पर शब्द कहीं गायब हैं, इस माहौल से डरे हुए है आखरी बार एक शहर की सकरी सी गली में बने एक मकान के तीसरे माले में देखे गये थे... (C) shubhra, February 23, 2011
Painting with words, telling stories, expressing life...