अप्रैल का महीना थोड़ा नर्म थोड़ा गर्म सन्तरा भी मिलता है और आम भी गोभी भी और भिंडी भी गरम पानी से नहाते है और कार में ऐसी चलाते हैं नए साल के प्लान बनाते हैं बीते साल के बही खाते टटोलते हैं अप्रैल का महीना थोड़ा नर्म थोड़ा गर्म ऐसे ही एक साल काफी गरम था अप्रैल का महीना अस्तित्व पिघला पहचान पिघली आमदनी पिघली लावा ही लावा था सब तरफ महीने बीते जलते जलते... फिर इस लावे में कुछ रंग मिलाए कुछ हिम्मत जुटाई कुछ इरादे किए कुछ मदद मांगी काफी तपस्या की काफी कुछ त्यागा इस अप्रैल के महीने से शुरुआत हुई एक नए सफर की मालूम नहीं था तब क्या अंजाम होगा सही गलत, अच्छा बुरा कौन जाने बस रंगों के साथ उधेडः-बुन में लग गए कभी जद्दोजहद, मायूसी, नाकामयाबी कभी पुरूस्कार, तारीफ और छोटी छोटी खुशियां कई पड़ाव पार किये... आज इस अप्रैल के महीने में आज ही के दिन पंद्रह साल पूरे हुए उस पिघलती दोपहर के जब ज्वालामुखी फटा था और लावा बहा था वहाँ आज एक न...
Painting with words, telling stories, expressing life...
Comments
All the pictures are awesome..its really a treat going thru them.
..and, its a very nice blog:)
Cheers,