आज बारिश लगातार हो रही है
मूसलाधार... तेज़, काफी तेज़...
घिर आए बादल
कुछ घने, कुछ काले,
कुछ बेचैन, कुछ नाराज
कुछ उदास
लेकिन सब भरे हुए...
रोने को आतुर...
बस अब थम नहीं रहे
मानो सारे जहां का दर्द भरा हुआ हो सीने में,
थम ही नहीं रहे!
गुबार है कि सैलाब की तरह निकल रहा है...
कभी लगा कि हवा के थपथपाने से कुछ सुकून आया,
शायद थम रहे हैं,
रुलाई, सिसकियों में बदल रही है...
बिखर रहे हैं ये बादल...
पर नहीं
ये आज ना तो थमेंगे,
ना ही बिखरेंगे,
ना ही संभलेंगे...
आज तो सब कुछ ही बाहर उड़ेल देंगे
इतना सब कुछ तो है
जो समेटे हुए हैं दिल में
सब का जहां थामे हुए
मेरा, तुम्हारा, उसका, इसका
सबका...
एक अकेला अम्बर
आखिर कब तक
बीमार का, बेरोज़गार का
अकेले-तन्हा का
भीड़ में फंसे हुये का
नज़रबंद का और आज़ाद का भी
नास्तिक का और भक्त का
देसी का और विदेशी का भी
सब कोई अपना सब कुछ
इस आसमान से ही तो बांटते हैं...
भर गया आज इसका कलेजा,
घिर आए बादल...
इतने लोग इस धरती पे
और एक आसमान अकेला
सब का संसार ढकता हुआ
उसका जिसके माँ-बाप नहीं
या जिसके बच्चे नहीं
जिसका रिश्ता टूटा या जिसका दिल धड़का
उसका भी जिसे किसी ने अपनाया नहीं और
जिसने किसी को अपनाया नहीं...
उसका भी जिसने ज़ुल्म सहे
और जिसने बेशर्मी से ज़ुल्म किये
सब इसी के साये में आए
लेकिन ये कहाँ जाए
बादलों की रज़ाई ओढ़
आज सो रहा है
रो रहा है
भर गया जी
घिर आए बादल
कुछ घने, कुछ काले,
कुछ बेचैन, कुछ नाराज
कुछ उदास
लेकिन सब भरे हुए...
गुबार निकालने को आतुर...
बस अब थम नहीं रहे
आज बारिश लगातार हो रही है...
(c) shubhra
August 18, 2019
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