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Showing posts from December, 2006

I want

I want to fly high like a bird to swim deep like a fish to flow freely like a river to wander like a thought no limits no ifs no buts no yes no no to break free to let go to fly high to swim deep to be me I am a prisoner of my own thoughts limited by my own self bounded by my own belief I want to break free to let go to break free to be me Shubhra composed on 27/12/06 at 1 am

आँखें

नींद भरी आँखें न सोती न जगती आँखें न कुछ कह कर भी सब कुछ कहती आँखें रोज़ नये ख्वाब देखती आँखें प्यार की खुशी से दमकती आँखें यार के इंतज़ार में मचलती आँखे नज़रों में लम्हात बटोरती आँखें रोज़ कयी ख्वाब बुन्ति आँखें गम में नम आँखें टूटे ख्वाबों पर रोती आँखें यार की जुदाई में उदास आँखें अपने माज़ी को हर शय में खोजती आँखें अश्कों को पलकों पर रोकती आँखें मन का आईना हैं आँखें ख्वाबों की तस्वीर हैं आँखें झरोखा मेरी दुनिया का, ये आँखें ये ख़ामोश आँखें, मेरी ख़ामोश आँखें शुभ्रा 27/12/06 at 1 am