They met like the raindrops
meet the parched earth.
They embraced,
her face fitting perfectly between
the curves of his back.
Her arms around his waist and
his arms on hers,
talking about everything
till the seconds converted into minutes
and minutes into hours.
together till the sun set and
the moon came knocking.
They loved, laughed, talked and cried…
till her tears and his sweat
merged and
there was nothing
but some salt
between them.
They were together again,
and between them the time melted
and the moments froze.
Shubhra
June 28, 2008
अप्रैल का महीना थोड़ा नर्म थोड़ा गर्म सन्तरा भी मिलता है और आम भी गोभी भी और भिंडी भी गरम पानी से नहाते है और कार में ऐसी चलाते हैं नए साल के प्लान बनाते हैं बीते साल के बही खाते टटोलते हैं अप्रैल का महीना थोड़ा नर्म थोड़ा गर्म ऐसे ही एक साल काफी गरम था अप्रैल का महीना अस्तित्व पिघला पहचान पिघली आमदनी पिघली लावा ही लावा था सब तरफ महीने बीते जलते जलते... फिर इस लावे में कुछ रंग मिलाए कुछ हिम्मत जुटाई कुछ इरादे किए कुछ मदद मांगी काफी तपस्या की काफी कुछ त्यागा इस अप्रैल के महीने से शुरुआत हुई एक नए सफर की मालूम नहीं था तब क्या अंजाम होगा सही गलत, अच्छा बुरा कौन जाने बस रंगों के साथ उधेडः-बुन में लग गए कभी जद्दोजहद, मायूसी, नाकामयाबी कभी पुरूस्कार, तारीफ और छोटी छोटी खुशियां कई पड़ाव पार किये... आज इस अप्रैल के महीने में आज ही के दिन पंद्रह साल पूरे हुए उस पिघलती दोपहर के जब ज्वालामुखी फटा था और लावा बहा था वहाँ आज एक न...
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RC